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घुघुतिया त्यौहार कैसे मनाया जाता है? | ghughuti banane ki recipe

क्या आपको पता है उत्तराखंड में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है? अलग अलग जगह मकर संक्रांति अपने- अपने तरीके से मनाई जाती है | उत्तराखंड राज्य में मकर संक्रांति के पर्व को घुघुतिया त्यौहार कहा जाता है | इस दिन सभी लोग पवित्र नदियों का स्नान करके दिन की सुरुवात करते है | भगवन की पूजा अरचना की जाती है |

उत्तराखंड में उत्तरायणी मेले का आयोजन होता है मकर संक्रांति को ‘उतरायण’ भी कहा जाता है, क्योकि ऐसा मन जाता है की जनवरी माह की 14 तारीख के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, और दिन बड़े होने लगते है शाम देर से होती है |

घुघुतिया त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

इस पर्व के मौके पर कई स्थानों में उत्तरायणीं मेले का आयोजन किया जाता है, इसमें पहाड़ी गीत, नित्य और व्यंजन भी मिलते है | अगर , आप पहाड़ी कल्चर को नजदीक से जानना चाहते है तो आपको उत्तरायणती मेले में जरूर जाना चाहिए | यह मेला बागेश्वर , हल्द्वानि और कई सजगह आयोजित किया जाता है मकर संक्रांति (घुघुतिया त्यौहार) के इस पर्व पर एक विशेष प्रकार का व्यंजन "घुघुत" बनाया जाता है । "घुघुत" बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, इस व्यंजन को केवल इस अवसर पर ही बनाया जाता है| इसके पीछे एक रोचक कहानी भी है | आईये जानते है इसके पीछे की कहानी

घुघुतिया त्यौहार से सम्बधित लोककथा

वही राजा का मंत्री राजगद्दी के उम्मीद में था , पर राजगादी तो घुघीति की ही होती | मंत्री आये दिन घुघीति को मरने की साजिश करने लगा और एक दिन वो अपने कुछ सतियों के साथ मिलकर घुघीति को चुपके से उठाकर ले गया| घुघुति को जंगल की ओर ले जाते समय एक कौवे ने उसे देख लिया और जोर-जोर से कांव-कांव करने लगा| यह सब देख कर घुघीति रोने लगा और अपनी माला उत्तार कर कौओ को दे दी | धीरे धीरे सरे कई कौवे एकत्रित हो गए और उनमें से एक कौवा घुघुति के हाथ से माला लेकर उड़ गया, और कौवो ने मंत्री पर हमला कर दिया | कौवे राजमहल जाकर उसकी माला घुघीति की माँ को दिखाए तो वो समज गयी , उनका पुत्र किसी संकट में है | राजा और उसके सैनिक घुघीति की तलाश में जंगल गए और उनके वह ज़मीन में पाया गया | उससे महल लाया गया और साडी बाते समने आयी, राजा मंत्री को कारगर में डाल दिया और कौवों तो मीठे पकवान खिलाये गए | कौए की इस चतुराई और राजा के प्रति राजभक्ति से राजा बड़ा प्रभावित हुआ और उसने राज्य भर में घोषणा करवा दी कि मकर संक्रान्ति के दिन सभी राज्यवासी कौव्वो को पकवान बना कर खिलाएंगे|

तब से लेकर आजतक इस पर्व को मनाया जाता है | यह बात धीरे-धीरे पूरे कुमाऊं में फैल गई और इसने बच्चों के लोकपर्व का रूप ले लिया।

एक लोककथा यह मानी जाती है की | इस दिन सुबह उठ कर , पूजा अर्चना के बाद घुघुत कौओ को खिलाये जाते है | क्यूकि कौओ को पितृ रूप मन जाता है और पहला त्योंहार हम पितरों को समर्पित करते है |

घुघुत बनाने की विधि:

घुघुतिया त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

यह मीठे आटा से बनाया जाता है - इसके लिए आपको चाहिए -

  • 1/2 कप गेहूँ का आटा
  • 75 ग्राम गुड़
  • 1/3 कप पानी
  • 2 टेबल स्पून सूजी
  • 1+1/2 टेबल स्पून तेल
  • 2 टी स्पून सफ़ेद तिल
  • 1 टी स्पून सौंफ
  • 4-5 कप तेल तलने के लिए

  • विधि:

    लीजिये तैयार है कुमाऊं की फेमस डिश घुघुत, तो आप भी घुघुतिया त्यौहार पर इससे बनाये और एन्जॉय करे यह स्वीट डिश | आप इससे 2-3 महीनो तक रख सकते है , इन्हे एयर टाइट बॉक्स में पैक करे और महीनो तक घुघतो का आनंद ले |

    उत्तराखंड राज्य अपने प्राकर्तिक संदोर्य को लेकर प्रसिध्द है | यहाँ पशु पक्षी , पुष्प – पौधो की पूजा भी की जाती जाती है | इसलिए ही तो इससे देवभूमि कहा जाता है | आशा है आप लोगों को यह ब्लॉग पसंद आया होगा | कमेंट सेक्शन में बताइये की आपके वहा मकर संक्रांति का पर्व किस प्रकार बनाया जाता है |

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